कारगिल युद्ध में “ये दिल मांगे मोर” का नारा बुलंद करने वाले शूरवीर, दुश्मन जिन्हें अपने शौर्य की वजह से शेरशाह के नाम से पुकारता था। जी हाँ, मैं बात कर रहा हूँ, कैप्टेन विक्रम बत्रा की. मात्र 25 वर्ष की आयु में देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर देने वाले पराक्रमी कैप्टेन विक्रम बत्रा के माता पिता के चरणों में वंदन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पॉइंट 5140 को फतह करने के बाद पॉइंट 4875 को फतह करते हुए विक्रम बत्रा शहीद हुए थे। इस अदम्य साहस का प्रदर्शन करने के लिए उन्हें परमवीर चक्र (मरणोंप्रांत) से सम्मानित किया गया था.
उनके सम्मान में इस चोटी को अब बत्रा टॉप के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा एक आर्मी कैम्प का नाम भी बत्रा ट्रांजिट कैम्प कर दिया गया है। हम सभी परमवीर चक्र से सम्मानित विक्रम बत्रा के सदैव ऋणी रहेंगें। इस महावीर को हमारा शत शत नमन। जय हिन्द.