कारगिल युद्ध के अत्यंत वीर व साहसी – कैप्टेन अनुज

कारगिल युद्ध में 6 जुलाई को दिल्ली के एक रणबांकुरे को द्रास में मश्कोह घाटी के पॉइंट 4875 के पिम्पल काम्प्लेक्स पर तिरंगा फहराने का कार्य सौंपा गया। ऊंचा लंबा और सदा ही मुस्कुराते रहने वाले नौजवान का नाम था कैप्टेन अनुज नैय्यर। 17 जाट रेजिमेंट का ये अफसर दिल्ली के जनकपुरी इलाके का रहने वाला था। अनुज बचपन से ही अत्यंत वीर व साहसी प्रवर्ति के थे। कारगिल युद्ध पर आने से कुछ दिन पहले ही उनकी सगाई हुई थी।

15600 फ़ीट ऊंचाई पर बना पिम्पल कॉलेक्स की सीधी ढलान पर दुश्मन बैठा था, जहां वार करना अत्यंत कठिन था। युद्ध पर जाने से पहले अपनी सगाई वाली हीरे की अंगूठी और घड़ी इन्होंने अपनी कमांडिंग अफसर को सौंप दी।

इनके कंपनी कमांडर को घायल होने की वजह से वापस जाना पड़ा और इस कंपनी का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी इस 24 वर्षीय जांबाज़ योद्धा पर आन पड़ी। इस शूरवीर ने बड़ी वीरता से स्वयं को सबसे आगे रखा और हाथों और पैरों के बल मंथर गति से रेंगते हुए, बड़े धीमे से दुश्मन के संगर के नीचे तक आ गए और एक हथगोला संगर के अंदर फैंक दिया। अदम्य साहस व अभूतपूर्व शौर्य का परिचय देते हुए इन्होंने नौ पाकिस्तानियों को मौत के घाट उतार दिया और उनके तीन बंकरों को नष्ट कर दिया। 6 जुलाई को शुरू हुआ ये संघर्ष 7 जुलाई तक चला और तभी चौथे बंकर को नष्ट करते समय एक ग्रेनेड इनको आ कर लगा और ये वीरगति को प्राप्त हो गए। इन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया।

8 जुलाई 2007 को अपने द्रास दौरे में मुझे मश्कोह घाटी में उस स्थान पर जाने का अवसर मिला, जहां कैप्टेन अनुज नैय्यर शहीद हुए थे। यहां शहीदों की याद में एक छोटा मंदिर बनाया गया है।

यहां की ऊंची, नंगी वीरान, बंजर और उजाड़ चोटियों को देख कर जब ये सोचा की हमारे सैनिक कैसे यहां से चढ़े होंगे तो रूह कांप जाती है।

वर्ष 2017 में मुझे इनकी माता जी श्रीमती मीना नैय्यर के चरण स्पर्श करने का भी अवसर मिला। अब वो दिल्ली के कोंडली (मयूर विहार के पास) बने पेट्रोल पम्प की व्यवस्था देखती हैं, जो उन्हें अनुज जी के बलिदान के बाद सरकार ने अलॉट किया है। दिल्ली के जनकपुरी में एक सड़क का नाम अनुज नैय्यर जी के नाम पर रखा गया है। कल यानि की 7 जुलाई को अनुज नैय्यर जी का बलिदान दिवस है। ऋणी राष्ट्र उनको सलाम करता है, नमन करता है।

जय हिन्द।

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