आओ चले “दाण्डी” – महात्मा गांधी जी की 150वीं जन्म जयंती पर

जैसा की आप सभी जानते ही हैं कि आज महात्मा गांधी जी की 150वीं जन्म जयंती है। इस अवसर पर आपको मैं ले कर चल रहा हूँ, “दाण्डी” जो गुजरात में अरब सागर के तट पर स्थित है।

दाण्डी उस ऐतिहासिक मार्च के लिए विश्व में विख्यात है, जिसे महात्मा गांधी के नेतृत्व में आयोजित किया गया और इसी मार्च में गांधी जी ने गोरी सरकार द्वारा लागू कठोर नमक कानून को तोड़ा था।

दांडी मार्च की शुरुआत 12 मार्च 1930 को अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से हुई। सौभाग्यवश, मुझे साबरमती आश्रम जाने का अवसर भी प्राप्त हो चुका है। इसके बारे में मैं अलग से लिखूंगा।

इस यात्रा में गांधी जी के साथ 78 स्वयं सेवकों ने हिस्सा लिया। हर रात्रि विश्राम से पहले गांधी जी अपने हज़ारों समर्थकों को संबोधित करते थे और उन्हें प्रेरित करते थे।

24 दिनों की पैदल यात्रा के बाद ये सम्पूर्ण दल आख़िरकार, 358 किलोमीटर की यात्रा पूर्ण कर दाण्डी पहुंच गया और 6 अप्रैल सुबह 6.30 बजे गाँधी जी ने समुद्र किनारे से मुट्ठी भर नमक उठा कर ब्रिटिश सरकार को ये बता दिया कि भारतवासी अब किसी हुकूमत की ग़ुलामी स्वीकार करने वाले नही हैं।

ये कोई साधारण अवहेलना नही थी, इस कृत्य ने ब्रिटिश सरकार को हिला कर रख दिया। पूरे देश में स्वतंत्रता सेनानियों ने इस कानून को तोड़ कर महात्मा गांधी के इस कार्य को अपना समर्थन प्रदान किया।पिछले ही वर्ष मुझे इस पुण्य भूमि के दर्शनों का अवसर प्राप्त हुआ।

पिछले वर्ष अपनी “दाण्डी” यात्रा के दौरान मैं भरूच उतर कर अंकलेश्वर होते हुए दाण्डी पहुंचा। दाण्डी तक की यात्रा में मुझे जगह जगह कई बोर्ड दिखाई दिए, जिस पर लिखा था की इसी रास्ते से गांधी जी ने अपने समूह के साथ दाण्डी तक की यात्रा सम्पूर्ण की थी। ये वाकई यादगार क्षण थे। ये सोच कर मन आनंदित हो गया कि आज मुझे एक ऐतिहासिक रास्ते से गुज़रने का अवसर प्रदान हो रहा था।

दाण्डी की कुछ तस्वीरों को आपके साथ सांझा कर रहा हूँ। ऋणी राष्ट्र की ओर से महात्मा गाँधी को शत शत वंदन। जय हिन्द।।

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